दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का चुनाव कराने वाले चुनाव आयोग पर इन दिनों गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भारत के चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोला है और कहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 के साथ-साथ कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर वोटों की धांधली की गई थी। राहुल गांधी का डंके की चोट पर यह दावा है कि वोटों की हेराफेरी में डुप्लीकेट EPIC की बहुत बड़ी भूमिका है। इसे ही आम बोलचाल की भाषा में वोटर आईडी कहते हैं जिसमें व्यक्ति का नाम, लिंग, फोटो, जन्म की तारीख, उम्र और पता होता है। आज के इस लेख में हम इस सियासी मुद्दे को ज्यादा हवा न देते हुए इस बात की चर्चा करेंगे कि चुनाव आयोग की शक्तियां क्या हैं और यदि इस धांधली में यह आयोग दोषी पाया जाता है तो इसपर क्या एक्शन लिया जा सकता है।
भारतीय संविधान में चुनाव आयोग
चुनाव आयोग अर्थात निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय है जिसका काम है संघ और राज्य के चुनावों का संचालन करना। देश में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति के चुनाव संचालन की जिम्मेदारी इस निकाय की है।
- इसे संविधान के 15वें भाग में अनुच्छेद 324–329 के अंतर्गत स्थापित किया गया है।
- अनुच्छेद 324 कहता है कि चुनावों के लिए अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण का काम चुनाव आयोग का होगा।
- अनुच्छेद 325 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति धर्म, जाती, नस्ल, लिंग के आधार पर मतदाता सूची में शामिल होने या शामिल होने का दावा करने के अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।
- अनुच्छेद 326 के अनुसार लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव वयस्क मताधिकार पर आधारित होंगे।
- अनुच्छेद 327 में विधायिका के लिए चुनाव से जुड़े प्रावधान की शक्ति संसद में निहित की गई है।
- अनुच्छेद 328 में किसी विधान मंडल के लिए चुनाव की तैयारी करने हेतु उस विधान मंडल की शक्ति का वर्णन किया गया है।
- अनुच्छेद 329 कहता है कि यदि कोई किसी चुनाव क्षेत्रों में सीटों का आवंटन या परिसीमन अनुच्छेद 327 और 328 के तहत किया गया है तो उसे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।
चुनाव आयोग पर लगे आरोप सिद्ध हुए तो क्या होगा?
- यदि चुनाव आयोग पर लगे आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो भ्रष्टाचार, संवैधानिक उल्लंघन के आरोप में संसद या सुप्रीम कोर्ट समिति के माध्यम से जांच का आदेश दे सकते हैं।
- राष्ट्रपति के पास शिकायत देकर इस मामले में जांच की अपील की जा सकती है।
- चुनाव आयोग को उसके कार्यों को ठीक ढंग से करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कोई नागरिक या संगठन याचिका दायर कर सकता है। इस तरह आयोग को उसके कर्तव्यों का पालन करने के लिए रिट के जरिए बाध्य किया जा सकता है।
